योनि रोग वाक्य
उच्चारण: [ yoni roga ]
उदाहरण वाक्य
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- योनि रोग में उत्तर वस्ति में गुणकारी।
- योनि रोग में उत्तर वस्ति में गुणकारी।
- योनि रोग में उत्तर वस्ति में गुणकारी।
- यह कफ, पित्त, अतिसार और योनि रोग को ठीक करता है।
- घाव, पसीना, कफ, कीड़े को नष्ट करने वाला, बीमारीयों (विद्रधि), बहिरापन, योनि रोग तथा कान के रोग नष्ट………………
- आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बांझपन का कारण हो सकता है।
- आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बाँझपन का कारण हो सकता है।
- आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बाँझपन का कारण हो सकता है।
- जब सप्तम भाव का कारक, या स्वामी त्रिक स्थानों पर और अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो, तो मूत्राशय और योनि रोग उत्पन्न करता है।
- यह घाव, पसीना, कफ, कीड़े को नष्ट करने वाला, फोड़े-फुंसी, बहरापन, योनि रोग तथा कान के रोग को नष्ट करता है।
- गुण-गूलर शीतल, गर्भसंधानकारक,व्रणरोपक, रूक्ष, कसैला,भारी, मधुर,अस्थिसंधान कारक एवं वर्ण को उज्ज्वल करने वाला है कफपित्त,अतिसार तथा योनि रोग को नष्ट करने वाला है |
- गूलर शीतल, गर्भसंधानकारक, व्रणरोपक, रूक्ष, कसैला, भारी, मधुर, अस्थिसंधान कारक एवं वर्ण को उज्ज्वल करने वाला है कफपित्त,अतिसार तथा योनि रोग को नष्ट करने वाला है ।
- गूलर शीतल, गर्भसंधानकारक, व्रणरोपक, रूक्ष, कसैला, भारी, मधुर, अस्थिसंधान कारक एवं वर्ण को उज्ज्वल करने वाला है कफपित्त,अतिसार तथा योनि रोग को नष्ट करने वाला है ।
- लाभ: इस योग के सेवन से योनि रोग, योनि में जलन, योनि में घाव एवं सूजन, सब प्रकार के प्रदर, गर्भाशय पर सूजन, गर्भाशय का सरक जाना, योनि मार्ग से किसी प्रकार का स्राव होना आदि सभी नारी रोग दूर होते हैं।
- इसी प्रकार कई अन्य रोगों जैसे-दाद, प्यास, हृदय रोग, षूल, वस्ति रोग, बवासीर, रक्तपित्त, अतिसार, जीर्ण ज्वर, मानसिक रोग, उन्माद मूच्र्छा, भ्रम, संग्रहणी पीलिया, योनि रोग, गर्भस्राव आदि रोगों में भी दूध बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है।
- योनि रोग: अडूसा, कड़वे परवल, बच, फूलिप्रयंगु और नीम को लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें, इसी प्रकार से अमलतास के काढ़े से योनि को धोकर योनि में इसी चूर्ण को रखने से योनि में से आने वाली बदबू और चिकनापन (लिबलिबापन) समाप्त हो जाता है।
- किसी भी प्रकार का योनि रोग, मासिक-धर्म का बंद हो जाना, प्रदर, गर्भाशय में हवा का भर जाना, गर्भाशय पर मांस का बढ़ जाना, गर्भाशय में कीड़े पड़ जाना, गर्भाशय का वायु वेग से ठंडा हो जाना, गर्भाशय का उलट जाना अथवा जल जाना आदि कारणों से स्त्रियों में गर्भ नहीं ठहरता है।
- योनि रोग: योनि को मजबूत करने के लिए आक की जड़ के चूर्ण को भांगरे के रस में 2-3 बार अच्छी तरह खरल करके मटर के बराबर गोलियां बना लें, फिर एक-एक गोली सुबह-शाम गर्म पानी या दूध के साथ सेवन करने से योनि सुदृढ़ होती है, इससे मासिक धर्म भी ठीक होने लगता है पर जिन्हें रक्तप्रदर हो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
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